क्या है बायोमेडिकल कचरा घोटाला? कोलकाता कांड से क्या नाता,

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर के कथित रेप एंड मर्डर मामले की जांच कर रही सीबीआई अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की भी जांच कर रही है। इस सिलसिले में सीबीआई ने बायोमेडिकल कचरा घोटाला में भी अपनी जांच शुरू कर दी है। इस क्रम में सीबीआई के हाथ बड़ा सुराग लगा है। एजेंसी ने अस्पताल के पूर्व उप अधीक्षक अख्तर अली और अस्पताल की पूर्व अधीक्षक बुलबुल मुखर्जी के कंप्यूटरों को जांच के लिए जब्त कर लिया है। सूत्रों ने बताया कि एजेंसी को बायोमेडिकल कचरे के निपटान से संबंधित जांच समिति की रिपोर्ट से संबंधित कुछ दस्तावेज भी मिले हैं।

अस्पताल के पूर्व उप अधीक्षक अख्तर अली ने ही घोष के खिलाफ आर्थिक अनियमितता के गंभीर आरोप लगाये थे और हाई कोर्ट में मामले की जांच के लिए अर्जी दायर की थी। सीबीआई इस मामले में अली और मुखर्जी, दोनों का बयान भी दर्ज कर चुकी है। दोनों ही मामलों में आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष और उनके करीबी माने जाने वाले कुछ प्रभावशाली लोग सीबीआई के रडार पर हैं।

बता दें कि 2022-2023 में अस्पताल में बायोमेडिकल कचरे के गलत तरीके से निपटान किए जाने का पता चला था, जिसके बाद एक जांच समिति का गठन किया गया था। समिति की रिपोर्ट में अस्पताल के कॉमन कलेक्शन प्लांट के एक कर्मचारी का नाम लिया गया है, जिससे बायोमेडिकल कचरे के बारे में पूछताछ की गई थी। पूछताछ में उस कर्मचारी ने अस्पताल परिसर में बने गेस्ट हाउस के केयरटेकर का नाम भी लिया था। कर्मचारी ने कुल तीन नाम बताए थे, जिनमें पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के करीबी सुरक्षा गार्ड का नाम भी शामिल है। जांच समिति ने पाया कि सुरक्षा गार्ड ने कर्मचारी को बायोमेडिकल कचरे से पैसे कमाने के तरीके बताए थे।

पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष पर यह भी आरोप है कि उनके कार्यकाल के दौरान अवैध तरीके से अस्पताल से बॉयो मेडिकल वेस्ट बाहर बेचे गए। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, इस आरोप की जांच के लिए बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट सर्विस ऑथराइज्ड की मदद मांगी गई है। सीबीआई को दूसरे राज्यों की दो बायोमेडिकल वेस्ट रीसाइकिलिंग फर्मों के नाम भी मिले हैं। एजेंसी कचरे के ट्रांसपोर्टरों सहित दो फर्मों से भी पूछताछ कर सकती है। बायोमेडिकल कचरे को ढोने का काम जिस फर्म को दिया गया था, उससे भी पूछताछ की गई है। ट्रांसपोर्टेशन फर्म ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में हर दिन बायोमेडिकल कचरे की मात्रा कम होती जा रही है।

किसी भी अस्पताल में मरीजों के इलाज के दौरान कई तरह के मेडिकल उपकरण या सामानों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे प्रयोग के बाद फेंक दिया जाता है। इस तरह के सामानों में सिरिंज, ग्लब्स, इस्तेमाल की गई सलाइन की बोतलें, जांच किट आदि होता है, जो बायोमेडिकल कचरा कहलाता है। देश में बढ़ते इस तरह के कचरे के निपटान के लिए बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियम हैं। इसके तहत कुछ सामानों का रिसाइकिल होता है, जबकि जिन कचरों से संक्रमण का खतरा रहता है, उसे जलाकर नष्ट कर दिया जाता है। बायोमेडिकल कचरे का अधिकांश हिस्सा सही तरीके से रीसाइकिल किया जाता है। कुछ देशों में इनकी भारी मांग है। इसलिए इसे अवैध तरीके से बेच दिया जाता है और इसके बदले मोटी रकम वसूली जाती है। आरोप है कि आरजीकर मेडिकल कॉलेज में भी इसी तरह का गोरखधंधा चल रहा था।

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