दिल्ली के जहांगीरपुरी में काली मंदिर पर पथराव के दावे को पुलिस ने खारिज किया है। पुलिस ने घटना में सांप्रदायिक वजह से इनकार करते हुए कहा है कि एक ही समुदाय के दो पक्षों में झड़प हुई थी जिसमें अधिकतर नाबालिग हैं। पुलिस ने लोगों को अफवाहों पर ध्यान नहीं देने को कहा है। घटना को गलत तरीके से पेश करने वालों पर भी कार्रवाई की बात कही गई है।
सोशल मीडिया पर वीडियो के साथ कई लोगों ने दावा किया कि जहांगीरपुरी में एक मंदिर पर पथराव किया गया। कुछ मीडिया चैनल्स ने भी ऐसी खबरें दीं। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने इन दावों का खंडन किया है। पुलिस का कहना है इसमें कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है।
दिल्ली पुलिस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘जहांगीरपुरी में मंदिर पर पथराव का झूठा दावा सोशल मीडिया पर किया जा रहा है। ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। एक ही धर्म के दो समूहों, जिसमें अधिकतर नाबालिग हैं, के बीच एक मंदिर के पास किसी छोटी सी बात को लेकर झगड़ा हुआ जो पत्थरबाजी में बदल गई। कानूनी कार्रवाई की जा रही है।’
डीसीपी नॉर्थ वेस्ट अभिषेक धानिया ने कहा कि पीसीआर पर कॉल मिली थी कि मंदिर परिसर के पास पथराव हो रहा है। महिंद्रा पार्क की पुलिस मौके पर पहुंची तो पता चला कि एक ही समुदाय से जुड़े नाबालिग बच्चों के बीच झड़प हुई थी। आपस में पथराव करते हुए एक लड़के मंदिर परिसर में आ गए और वहां से भी दूसरे समूह को निशाना बनाया। दो बच्चे घायल हुए थे और उन्हें अस्पताल भेजा गया। कुछ नाबालिग आरोपी पहले भी सुधारगृह भेजे जा चुके हैं। डीसीपी ने कहा कि सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इसे जिहादियों के हमले, मंदिर पर हमले जैसे शब्दों के साथ प्रचारित किया। ऐसा कुछ नहीं है। जानबूझकर इस झगड़े को अलग तरीके से दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए इस तरह से गलत जानकारी दी गई। कुछ लोगों की पहचान की गई है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि दिल्ली का जहांगीरपुर इलाका मिश्रित आबादी वाला है। इलाके में पहले भी सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में मंदिर पर पत्थरबाजी की सूचना से एक बार फिर माहौल तनावपूर्ण हो गया था। कई लोग सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करके ऐसे दावे कर रहे थे जिससे माहौल बिगड़ सकता था। ऐसे में पुलिस ने बयान जारी करके सबकुछ साफ कर दिया है। इलाके में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।