भारत की ओर से रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर वाइट हाउस के एक अधिकारी ने बड़ा दावा किया है। रॉयटर्स को उसने बताया कि नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच व्यापार पर बातचीत सकारात्मक रही है। इसके चलते, भारतीय रिफाइनर्स रूसी तेल आयात को 50% तक कम कर रहे हैं। हालांकि, भारतीय सूत्रों का कहना है कि यह कटौती अभी तक दिखाई नहीं दी है। दिसंबर या जनवरी के आयात आंकड़ों में इसका असर दिख सकता है।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय रिफाइनर्स ने नवंबर के लिए पहले से ही ऑर्डर दे दिए हैं, जिनमें दिसंबर में आने वाले कुछ कार्गो भी शामिल हैं। भारत सरकार ने अभी तक रिफाइनरों को रूसी तेल आयात कम करने का कोई औपचारिक आदेश नहीं भेजा है। पेट्रोलियम मंत्रालय और रूसी तेल खरीदने वाले सभी भारतीय रिफाइनर्स ने रॉयटर्स की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया नहीं दी है।
जब भारत ने रूसी तेल का आयात बढ़ाया
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूसी तेल आयात को बढ़ावा दिया। 2022 से पहले यह बहुत कम था, जो अब भारत के कुल कच्चे तेल आयात का 34% (सितंबर 2025 तक) हो गया। यह कदम वैश्विक ऊर्जा संकट में भारत के लिए सस्ता विकल्प साबित हुआ, जहां रूस ने छूट पर तेल बेचा। 2024 में भारत ने 88 मिलियन टन रूसी तेल खरीदा। निजी रिफाइनरियां जैसे रिलायंस ने आयात बढ़ाए, जबकि सरकारी कंपनियां इसे कम करने लगीं।
अमेरिका को किस बात पर आपत्ति
विवाद तब भड़का जब अमेरिका ने इसे रूस को युद्ध फंडिंग का जरिया माना। अगस्त 2025 में राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाए, जिसमें रूसी तेल खरीद पर अतिरिक्त 25% जुर्माना शामिल था। भारत ने इसे दोहरा मापदंड बताया, क्योंकि चीन रूस का सबसे बड़ा खरीदार है। ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि भारत का आयात रूस को यूक्रेन युद्ध जारी रखने की ताकत देता है, जहां रूस ने 2024 में जीवाश्म ईंधन से 262 अरब डॉलर कमाए। अक्टूबर 2025 में ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने रूसी तेल बंद करने का वादा किया था, लेकिन बाद में इसे खारिज कर दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि आयात नीति उपभोक्ता हितों पर आधारित है।