कब है कार्तिक पूर्णिमा, इस पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि योग, भरणी, अश्विनी नक्षत्र का संयोग

अलीगढ़, कार्तिक मास की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन को देव दिवाली रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि देवोत्थान एकादशी पर देव उठ जाते हैं और इसके बाद वे पूर्णिमा के दिन गंगा तट पर दिवाली मनाते हैं। इस वर्ष सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, भरणी और अश्विनी नक्षत्र का संयोग है, जो अत्यंत शुभ होता है। हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि इस साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन करीब 100 साल के बाद अद्भुत संयोग बनने जा रहे हैं।इससे जातक को अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होगी और हरी और हर दोनों की कृपा बरसने वाली है। बताया कि इसे कार्तिक के अलावा त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन दीपदान और विष्णु पूजा का खास महत्व रहता है। इस दिन को देव दिवाली भी कहा जाता है।बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी। इसी लिए इस दिन गंगा स्नान का महत्व बढ़ जाता है। खास बात ये है कि इस बार की कार्तिक पूर्णिमा दो शुभ योगों के साथ आ रही है, जो विशेष फलदायी होंगे।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया गया दान-पुण्य अक्षय फलों की प्राप्ति कराता है। इसीलिए इस दिन कुछ न कुछ दान देने से घर में धन-संपदा बनी रहती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्नान के बाद दान करें। इस दिन सात शुभ कार्यों से समृद्धि की प्राप्ति होती है, इनमें नदी स्नान और दान, तुलसी और छः तपस्विनी कृतिकाओं का पूजन, दीपदान, पूर्णिमा का व्रत, शिव पूजा, सत्यनारायण की कथा, देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की संध्याकाल में पूजा करें। इस मास में भगवान विष्णु जल के अंदर निवास करते हैं। इसलिए नदियों एवं तलाब में स्नान करने से भगवान विष्णु की पूजा का पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए इस दिन तुलसी का पूजन करना उत्तम रहता है। कहते हैंं इस दिन गंगा स्नान का बहुत अधिक महत्व है। वाराणसी, हरिद्वार, प्रयागराज और ऋषिकेश और तीर्थस्थलों पर जाकर लोग गंगा आरती, दान-पुण्य और दीपदान करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा तिथि: बुधवार, 5 नवंबर 2025
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 4 नवंबर 2025 को रात्रि 10:36 बजे पूर्णिमा
तिथि समाप्त: 5 नवंबर 2025 को शाम 6:48 बजे
कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान: प्रातः 4:52 से 5:44 बजे तक

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