शेख हसीना के पिता की कुर्सी गई तो इधर इंदिरा को भी करारी शिकस्त, अब क्या बंगाल में ममता के साथ भी…

कोलकाता के आरजी कर मेड‍िकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्‍टर के रेप-मर्डर से देशभर में गुस्‍सा है. विपक्ष ममता बनर्जी सरकार को कोस रहा है, तो टीएमसी के लोग ही अपनी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. सीएम ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभ‍िषेक बनर्जी में मनमुटाव की खबरें हैं. ममता घर में घिरी महसूस कर रही हैं. लेकिन कहानी सिर्फ इतनी नहीं है. उन्‍हें 49 साल की एक घटना याद आ रही होगी, जब 1075 में शेख हसीना के पिता की कुर्सी गई, तो इधर इंदिरा गांधी को भी करारी श‍िकस्‍त झेलनी पड़ी. एक बार फ‍िर वैसे ही हालात बनते दिख रहे हैं. शेख हसीना बांग्‍लादेश की सत्‍ता से बेदखल हो चुकी हैं. तो क्‍या अब बंगाल में ममता के साथ भी वही होगा?

सियासत में कब क्‍या हो जाए, कहा नहीं जा सकता. कभी-कभी लगता है क‍ि एक पुरानी स्‍क्र‍िप्‍ट दोहराई जा रही है. इस बार भी कुछ ऐसा ही होता नजर आ रहा है. शेख हसीना जब 5 अगस्त को बांग्लादेश से भागकर दिल्‍ली आईं, तो भारत सरकार ने ये नहीं हो सोचा होगा क‍ि वे इतने लंबे वक्‍त तक भारत में रहेंगी. उन्‍हें ब्रिटेन में शरण की उम्‍मीद थी, क्‍योंक‍ि वहां उनकी बेटी भी रहती है. लेकिन वहां से जवाब मिला, प्रतीक्षा क‍र‍िए. अब शेख हसीना भारत में कब तक रहेंगी, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता. उधर, बांग्‍लादेश शेख हसीना के प्रत्‍यर्पण की मांग कर रहा है. इधर, भारत बांग्‍लादेश की नई सरकार के साथ रिश्ते खराब नहीं करना चाहता. लेकिन इन बदलावों से पश्चिम बंगाल में ममता बुरी तरह हिल गई हैं. उन्‍हें डर सताने लगा है.


घटना 49 साल पुरानी है. कुछ ऐसी ही घटना बांग्‍लादेश में हुई थी. जब 15 अगस्त, 1975 को शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार का नरसंहार हुआ. तब भारत में भी विद्रोह की आशंका जताई जाने लगी. इंडियन एक्‍सप्रेस में कूमी कपूर ने लिखा, उस वक्‍त हमारी खुफ‍िया एजेंसी रॉ काफी चौकस थी. रॉ प्रमुख आरएन काओ ने मुजीब को संभावित विद्रोह के बारे में बार-बार चेतावनी दी थी. इधर, संयोग ऐसा बना क‍ि आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी की सरकार चली गई. इसल‍िए बांग्‍लादेश की घटना के बाद पश्च‍िम बंगाल में हो रही हलचल ममता को डरा रही है.


कोलकाता कांड के बाद ममता की पार्टी में मनमुटाव है, जिससे सत्‍ता हाथ से ख‍िसकने का डर सता रहा है. ममता के भतीजे अभ‍िषेक बनर्जी के करीबी सूत्रों ने News18 को बताया क‍ि अभ‍िषेक चाहते हैं क‍ि प्रशासन काम करने का तरीका बदले. आरजी कर के मामले को ज‍िस तरह संभाला गया, उससे वे खुश नहीं हैं. वे चाहते हैं क‍ि जवाबदेही तय हो. पार्टी के अंदर भी और सरकार में भी. इसी से सुशासन मॉडल आएगा और 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव में हमें जीत मिल पाएगी. अभिषेक के करीबी पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि राज्‍य सरकार यह भरोसा नहीं दे पा रही है क‍ि वो लोगों को सुरक्षा दे पा रही है. इसी वजह से अभ‍िषेक बनर्जी एक्‍ट‍िव नहीं हैं. राजनीत‍िक विशेषज्ञों का कहना है क‍ि ज‍िस तरह का मनमुटाव दोनों में है, इससे पार्टी में बिखराव का डर सता रहा है. अगर ऐसा हुआ तो सत्‍ता हाथ से छिटकने का भी डर है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *