केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने वक्फ अधिनियम में संशोधन के लिए संसद में संशोधन विधेयक पेश किया है। माना जा रहा है कि संसद में संशोधन विधेयक पारित होने के बाद वक्फ बोर्ड की शक्तियां कम हो जाएंगी। इसको लेकर खूब बहस छिड़ी हुई है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सत्तारूढ़ भाजपा पर वक्फ अधिनियम में संशोधन की आड़ में वक्फ की जमीन बेचने की योजना बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा रियल एस्टेट कंपनी की तरह काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी को अपना नाम बदलकर ‘भारतीय जमीन पार्टी’ रख लेना चाहिए। संसद में इस बिल पर बहस के दौरान अखिलेश यादव और अमित शाह के बीच तीखी बहस हुई।
अखिलेश यादव ने कहा, “ये बिल जो पेश किया जा रहा है वो बहुत सोची समझी राजनीति के तहत हो रहा है। जब लोकतांत्रिक तरीके से चुने जाने की प्रक्रिया पहले से है तो उसको नोमिनेट क्यों किया जा रहा है? वहीं जहां अन्य धार्मिक मसले हैं उनमें कोई गैर-बिरादरी का नहीं आता है। तो फिर वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम को शामिल करने का औचित्य क्या है?”
अखिलेश यादव ने आगे कहा, “सच्चाई ये है कि भाजपा अपने हताश, निराश चंद कट्टर समर्थकों के तुष्टीकरण के लिए ये बिल लाने का काम कर रही है। आज तो हमारे आपके अधिकार कट रहे हैं.. याद कीजिए अध्यक्ष महोदय मैंने आप से कहा था कि आप लोकतंत्र के न्यायाधीश हैं। अध्यक्ष महोदय मैंने सुना है इस लॉबी में कि कुछ अधिकार आपके भी छीने जा रहे हैं। उसके लिए हम लोगों को लड़ना पड़ेगा आपके लिए।” इस पर अमित शाह भड़क गए। केंद्रीय गृह मंत्री ने लोकसभा में खड़े होकर कहा, “अखिलेश जी, अध्यक्ष के अधिकार सिर्फ विपक्ष के लिए नहीं हैं.. पूरे सदन के हैं। इस तरह की गोलमोल बातें आप नहीं कर सकते हो। आप नहीं हो अध्यक्ष के अधिकारों के संरक्षक।”
गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन के लिये इसी सत्र में संसद में संशोधन विधेयक ला रही है। माना जा रहा है कि संसद में संशोधन विधेयक पारित होने के बाद वक्फ बोर्ड की शक्तियां कम हो जाएंगी। यादव पहले ही इस विधेयक का विरोध करने की बात कह चुके हैं। उन्होंने गत पांच अगस्त को संवाददाताओं से बातचीत में कहा था, ‘‘हम लोग इसके (वक्फ अधिनियम में संशोधन संबंधी विधेयक) खिलाफ रहेंगे।” उन्होंने कहा था, ‘‘भाजपा के पास हिंदू-मुस्लिम करने या मुसलमान भाइयों के अधिकारों को कैसे छीना जाए, उनके अपने धर्म को लेकर उन्हें जो संविधान में अधिकार दिए गए हैं, उन्हें कैसे छीना जाए, बस यही काम है।’’